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Monday, December 3, 2007

ये शाम

रोज़ दिल पूछता है शाम क्यो आती है
तन्हाई भरी शाम क्या सिर्फ दर्द लाती है?

नही ये सच नही कि शाम मे सिर्फ दर्द है
शाम साथ अपने कितने वाकये ले आती है।

शाम आती है तो फिर चाँद साथ लाती है
चाँदनी जैसे तेरी छुअन ठंडक पहुँचाती है

शाम के साथ बहती आती ठंडी पुरवा
खुशबू तेरी आँचल मे भरे लाती है

शाम आती है अपने साथ सितारे ले के
चमक उनकी तेरी आँखें याद दिलाती है

शाम आती है अपने संग ले के तन्हाई
tujhe berok yaad karne ki aazaadi de jaati hai

shukriya shaam ka jo aj bhi hum zinda hain
tujhse milne ki chaahat din nayaa de jati hai.

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