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Saturday, January 18, 2014

Tumhare liye

हाथ थाम कर एक दूजे का, चलो आज फिर दौड़ लगाएं
चाँद की फांक की नाव बना कर, स्वप्न समंदर फिर तर जाएँ

जब चंदा से जुदा  चाँदनी अपने पीछे पीछे आये
छोर पकड़ लेना उसका यूँ , वो फिर चंदा से जुड़ जाए

आशाओं के फूल मिलेंगे बहते जब लहरों लहरों पे
ऐसी जुगत भिड़ाएं हम तुम, सब अपनी मुट्ठी आ जाएँ

प्रेम के बादल जहां दिखेंगे उमड़ घुमड़ का खेल रचाते
तीर चलाना ताक के ऐसा प्यार की वर्षा फिर हो जाए

हवा सुनाई देगी जब पत्तों- डालों पर ताल जमाते
लम्बी  सांस भरेंगे दोनों, साँसों में सरगम भर जाए

हाथ थाम कर एक दूजे का, चलो आज फिर दौड़ लगाएं
चाँद की फांक की नाव बना कर, स्वप्न समंदर फिर तर जाएँ