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Saturday, March 14, 2009

JEEWAN

अतीत की झीनी चादर की ओट में
कई किस्से छिपा रखे हैं बूढी ज़िंदगी ने
वो कच्ची धुप के दाडिम भी,
जो कमरे की बंद दीवारों पर अब भी चढ़ा करते हैं
याद दिला जाते हैं माँ की गोद और कुछ लम्हे फुर्सत के
वो शांत नीरव सी दुनिया मेरी
और माँ का हौले से गुनगुनाना
मानो आज धीमे से कहता है लौट चल ......
बस भुला दे सब और फ़िर से लिख कुछ नए पल ...

वो कच्ची पक्की पगडण्डी पर
नन्हे कदमो से दौड़ लगाना
वो नदी तीर पर बैठ के घंटों
गुड्डे गुडियों को नहलाना
मन ढूंढ रहा है अब उनको
बचपन के साथी वो जिनको
बस भुला चुका था गुमा चुका था
मन आज उन्हें फ़िर ढूंढ बुलावा भेज रहा है
हाँ लौट चल ..... बस भुला दे सब औरफ़िर से लिख कुछ नए पल...

फ़िर आज ललक कर मुझे पुकारे मेरा बचपन
वो मेरा पत्थर ईंट भरा घर का आँगन
वो पेड़ नीम का कटुक निबोली जिस की खाई
वो कथा कहानी कहने वाली बूढी दाई
रह रह कर मेरे जेहन में अब कौंध रहे हैं
बिन बोले ही अनगिनत बहाने तौल रहे हैं
बस लौट चल ओ बावरी .... अब भुला दे तू बीती बातें
चल लिख ले अब कुछ नए पल
कुछ नए पलों में छिपे हुए अनमोल मुकाम अभी और भी हैं

बस लौट चल करवट बदल
अब ठिठक मत ऐसे मचल, अब छोड़ दे चलना सम्हल सम्हल
दिल में रख कर विश्वास अचल बीती बातों से ले कर बल
चल लिख ले अब कुछ नए पल

10 comments:

श्यामल सुमन said...

दिल में रख कर विश्वास अचल,
बूढ़ी बातों से ले कर बल,
चल लिख ले अब कुछ नए पल।। सुन्दर भाव।

कहते हैं कि -

कल अपने आप को देखा माँ की आँखों में।
ये आईना हमें बूढ़ा नहीं बताता है।।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com

ravishndtv said...

बहुत अच्छा। लिखते रहिए। जहां जहां लौट सकती हैं वहीं वही लौट जाइये। गोल धरती पर एक न एक दिन तो लौटना ही होता है अपने आरंभ से प्रस्थान करने के लिए किसी और गंतव्य की तरफ

सुशील छौक्कर said...

सुन्दर भावों को बेहतरीन शब्दों से बहुत उम्दा लिखा है आपने। अच्छा लगा पढकर।

अनिल कान्त said...

जिंदगी की काफी बातों और यादों से रू-ब-रू करा दिया

Aditi said...

lovely thoughts presented in lovely words!!!brings back memories of childhood n also motivates one to go on in life, no matter what...

ओंकारनाथ मिश्र said...

Very Nice Lines.....You should get a collections of Poems published soon.I really like the way you write.

Gopal said...

mujhe to mera bachpan aur gaaon yaad aa gaya.. really very beautiful poem.. keep writing...

Unknown said...

A magician of words....!!! No a juggler of words??? Cant say. Really complicated. Oh No. An unpredictable. No she cannt be such type. To my bestest of wisdom. A sensible work by a delicate Lady.

Archit said...

awesome..!
full of emotional depth..!

good combination of words and emotions...!

iking said...

Your depth of thoughts and shower of emotions are filling the canvas of life with colors of rainbow... really appreciate and like to thank you for such a treat....