आंखों से नींद गई नही है अभी ...... इसलिए अब भी दिख जाता है
तेरा अक्स .... जो कहीं दूर से मुस्का रहा है ... पहले की तरह
तेरा अक्स .... जो अब भी भरमा रहा है .... पहले की तरह
करवटें भी अजीब होती हैं .... करवटों के साथ सपने नही बदलते हैं
वो सपने जो बिन कहे गुम जाते हैं ... करवटों की गोद में अक्सर छिपे से मिलते हैं
हर करवट के साथ भी मुझको नज़र आ रहा है .... पहले की तरह
तेरा अक्स ... जो दूर से लुभा रहा है ..... पहले की तरह
हवा के झोंके तेरे आने का पैगाम दे गए थे
तेरी आहट की एक पहचान दे गए थे ...
तेरे कदमो की आहट और तेरे मन की आहट
तेरी साँसों की दिल की और उस धड़कन की आहट
उफ़ तेरे अक्स का गहरा असर इस दिल पर है
मेरे सिवा तेरे इस अक्स से सब बेखबर हैं
आज दिल ने कहा, बस थाम ले आगे बढ़ कर
आज तू ख़ुद है ख़ुद तू है यहाँ , तेरा अक्स नही
मगर ये मन भी अब मुझसे झूठ कहा करता है .......
Haath aayi bhi to dhool teri yaad ki
तू अब भी दूर है बस अक्स तेरा पास है
तेरे इस अक्स के सच की मुझे तलाश है
तू मुझसे दूर नही मेरे वजूद में शामिल है
तुझसे जुड़ कर मेरा जीना भी अब मुकम्मिल है
आंखों को बंद कर के फ़िर से दिल ने करवट ली
अब तेरे खो जाने का तनिक भी डर नही
मेरा मन खुशनुमा सपने नए सजाता है
तेरे उस अक्स के ..... जो रोज़ मन भरमाता है ..........
4 comments:
करवटों के साथ सपने नही बदलते हैं
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बहुत खूबसूरत रचना
हैरत में हूँ की अब तक आपको कैसे नहीं पढा कभी..बहुत ही प्रभावी लेखन .फौलो बटन भी नहीं है ...जो फौलो कर सकूँ..चलिए आइसे ही आकर पढूंगा ...
बेहतरीन रचना!
umda !
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