जब तुम यादें बन जाओगे?
सूरज हो आज मेरे जीवन का
कल कोहरा बन खो जाओगे?
सर्दी की धूप से नर्म गर्म
क्या मुझे सदा गर्माओगे?
या तिनका तिनका टूट टूट
पतझड़ मे गुम हो जाओगे?
मेरे हाथों की मेहंदी मे
अब नाम तुम्हारा सजता है
मेहंदी के रंग से क्या एक दिन
तुम भी धूमिल पड़ जाओगे?
मेरे हर पल मे हर क्षण मे
ख्वाबो मे छाये रहते हों
मेरी धड़कन मे साँसों में
रग रग में समाये रहते हों...
कभी ख्वाब तो नहीं तोड़ोगे?
या फ़िर मुझसे मुँह मोड़ोगे ?
किस तरह सवाल ये कहूँ तुम्हे
क्या इन्हे समझ तुम पाओगे ?
1 comment:
Liked it from core of bottom of my heart.
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